भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वह नहीं है माटी / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:46, 26 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=केवल एक प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
पपड़ाई दिख रही है जो
वह नहीं है माटी
याद है जल की
भिगो कर माटी को
अतृप्त कर गया जो—
उस को छोड़ कर
ख़ुद आग से मिलने ।
26 फ़रवरी 2010