भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
धुंध में-2 / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:48, 26 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=केवल एक प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
धुंध में
खो गई घाटी
राग हो आती है
उस चिड़िया के सुर में
सुनता जिस को मैं
खो जाता हूँ
धुंध में अपनी ।
13 जनवरी 2010