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क्या ख़बर होती / नंदकिशोर आचार्य
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बुरा क्या था
मगन रहता
अपने सपने की दुनिया में
क्यों चाहा पर बना लेना
दुनिया को
अपने सपने-सा
सपने में ही डूब रहा
होता
होना अपना—
किसी को क्या ख़बर होती
मैं हस्ती हूँ या हूँ सपना ।
—
27 जून 2009