भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

संग बसंती अंग बसंती रंग बसंती / आनंद बख़्शी

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:20, 29 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आनंद बख़्शी }} {{KKCatGeet}} <poem> संग बसंती अं...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
संग बसंती अंग बसंती रंग बसंती छा गया
मस्ताना मौसम आ गया
संग बसंती अंग ...

धरती का है आँचल पीला झूमे अम्बर नीला\-नीला
सब रंगों में है रंगीला रंग बसंती
संग बसंती अंग ...

लहराए ये तेरा आँचल सावन के झूलों जैसा
दिल मेरा ले गया है ये तेरा रूप गोरी सरसों के फूलों जैसा
ओ लहराए तेरा आँचल सावन के झूलों जैसा
दिल मेरा ले गया ...

जब देखूँ जी चाहे मेरा नाम बसंती रख दूँ तेरा
छोड़ो-छेड़ो ना
हो हो
तेरी बातें राम दुहाई मनवा लूटा नींद चुराई
सैंया तेरी प्रीत से आई तंग बसंती
संग बसंती अंग ...
मस्ताना मौसम आ गया

हो सुन लो देशवासियों
हो सुन लो देशवासियों
आज से इस देश में
छोटा-बड़ा कोई न होगा सारे एक समान होंगे
सुन लो देशवासियों
कोई न होगा भूखा-प्यासा पूरी होगी सबकी आशा
हम हैं राजा

तुम हो कौन नगर के राजे छोटा मुँह बड़ी बात न साजे
झूमो नाचो गाओ बाजे संग बसंती
संग बसंती अंग ...