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दिए जलते हैं / आनंद बख़्शी
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दिये जलते हैं, फूल खिलते हैं
बड़ी मुश्किल से मगर, दुनिया में लोग मिलते हैं
जब जिस वक़्त किसीका, यार जुदा होता हैं
कुछ ना पूछो यारों दिल का, हाल बुरा होता है
दिल पे यादों के जैसे, तीर चलते हैं
दिये ...
दौलत और जवानी, एक दिन खो जाती है,
सच कहता हूँ, सारी दुनिया
दुश्मन बन जाती है
उम्र भर दोस्त लेकिन, साथ चलते हैं
दिये ...
इस रँग-धूप पे देखो, हरगिज नाज़ ना करना,
जान भी माँगे, यार तो दे देना, नाराज़ ना करना
रँग उड़ जाते हैं, धूप ढलते हैं
दिये ...