भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गौरी / अर्जुनदेव चारण

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:39, 1 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्जुनदेव चारण |संग्रह= }}‎ {{KKCatKavita‎}} <...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


गौरी को
कभी घर नहीं मिलता मां
मिलता है मन्दिर
या समन्दर
इस सपने को
मत बसाओ
आंखों में।