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भटकता ही रहता / नंदकिशोर आचार्य
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तृषा रचती रहती है
तृप्ति
तृप्ति में मर जाती है
तृषा
भटकता ही रहता है फिर भी
अपने ही मरने की
तलाश में
मृग !
—
25 दिसम्बर 2009