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ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल / अमीर खुसरो

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जे हाले मिसकी मकुल तगाफुल

दुराये नैना बनाय बतियां ॥


कि ताबे गिजां न दारम, ऐजां

न लेहू काहे लगाए छतियां ॥


शबाने हिजां दाज यूं व रोजे ।

वसतल चू इम्र कोतह ।


सखी, पिया तो जो मैं न देखूं तो

कैसे काटूं अन्धेरी रतियां ॥