जे हाले मिसकी मकुल तगाफुल
दुराये नैना बनाय बतियां ॥
कि ताबे गिजां न दारम, ऐजां
न लेहू काहे लगाए छतियां ॥
शबाने हिजां दाज यूं व रोजे ।
वसतल चू इम्र कोतह ।
सखी, पिया तो जो मैं न देखूं तो
कैसे काटूं अन्धेरी रतियां ॥
जे हाले मिसकी मकुल तगाफुल
दुराये नैना बनाय बतियां ॥
कि ताबे गिजां न दारम, ऐजां
न लेहू काहे लगाए छतियां ॥
शबाने हिजां दाज यूं व रोजे ।
वसतल चू इम्र कोतह ।
सखी, पिया तो जो मैं न देखूं तो
कैसे काटूं अन्धेरी रतियां ॥