भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भूल जाओ वामन / नीलम सिंह
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:28, 3 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीलम सिंह |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> नहीं ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
नहीं काट सकते
अतल में धँसी
मेरी जड़ों को
तुम्हारी नैतिकता के
जंग लगे भोथरे हथियार
मत आँको मेरा मूल्य
धरती आकाश से
आकाश धरती से सार्थक है
तुम्हारे पाँव हर बार की तरह
आदर्श का लम्बा रास्ता भूलकर
मेरे अस्तित्व की छोटी पगडण्डी
पर ही लौट आएँगे
अपना विस्तार,भूल जाओ वामन
मेरी अस्मिता नापने में
तुम्हारे तीन पग छोटे पड़ जाएँगे ।