भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जो ईश्वर ने बनाई है / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:52, 6 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=केवल एक प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
बच्चा बनाता है
एक दुनिया
हम हँसते हैं उस पर
एक दुनिया बनाते हैं हम
बच्चा रोता है जिस में
और एक दुनिया वह जो ईश्वर ने
बनाई है
न हँस पाता कोई उस पर
न रो पाता
—वह ख़ुद भी
हो कर रह गया है
पत्थर की मूरत ।
—
2 सितम्बर 2009