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कैसे / नंदकिशोर आचार्य
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कहीं तो
जाना ही होता है उस को भी
नहीं है जिस को कोई जगह
कोई भी जगह नहीं जिस की
तो यहाँ भी वह रहेगा कैसे
कैसे वहाँ भी
बस यही सोचता
गुम हो जाता हूँ
नहीं में कहीं
नहीं में भी कहीं
गर है कुछ—
वहाँ कैसे रह सकूँगा
मैं
—
15 जनवरी 2010