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वह भी तो जिए / नंदकिशोर आचार्य
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वह प्यार करती है मुझे
निश्चय
नहीं तो साँस-साँस में
किसी और की
कौन इस तरह जीने दे
ख़ुद को
ऐसे प्यार से इन्कार
कैसे करूँ
घुल जाना चाहता हूँ
साँस-साँस में
मृत्यु की मैं भी
वह भी तो जिए मुझ को
हर साँस
उसे जैसे जीता हूँ मैं ।
—
1 अप्रैल 2010