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पर्वत की घाटी का जल चंचल / ठाकुरप्रसाद सिंह
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पर्वत की घाटी का जल चंचल
झरने का दूध-धवल
एक घड़ा सिर पर ले
एक उठा हाथ में
मैं चलती, जल चलता साथ में
मेरी कच्ची कोमल देह पर
छलक-छलक गाता है छल छल छल
जल चंचल
झरने का दूध-धवल