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चंद / रामनरेश त्रिपाठी

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रति के कपोल सा मनोज के मुकुर सा,
उदित देख चंद को हिए में उमड़ा अनंद।
मैंने कहा, सोने का सरोज है सुधा के
सरवर में प्रफुल्लित अतुल है कला अमंद॥
जानबुल-वश का सपूत एक बोल उठा,
लीजिए समझ और कीजिए प्रलाप बंद।
पहुँचे अवश्य अँगरेज वहाँ होते यदि
जानते कहीं जो वे कि सोना है चाँदी चंद॥