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बाप-माँ से मुझे छीन लोगे / ठाकुरप्रसाद सिंह
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बाप-माँ से मुझे छीन लोगे
क्या मुझे प्यार उतना ही दोगे ?
तुम भरोसा करो प्राण मेरा
प्यार मेरा कि है प्यार मेरा
मैं तुम्हें प्यार दूंगा अनोखा
है न पाया किसी ने, न देखा
तुम मेरी, हम तुम्हारे ही होंगे
'तीरी-पुरुष दुलाड़ तीरे-जूगे'