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सपने में देखा / रघुवीर सहाय
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रात कई व्यक्तियों को कई बार सपने में देखा
उन से कभी परिचित था, या हूँ
या होना चाहता था
या अब भी चाहता हूँ
वे सब स्त्रियाँ थीं
सुबह उठ दर्पण के सम्मुख आया तो मन कैसा हो गया
जिस की कुशलता के लिए चित्त हर समय अकुलाया रहता है
उसे क्यों नहीं देखा ?