भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रेम-कविता / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:19, 23 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=केवल एक प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
कोई शब्द विलोम नहीं होता
किसी शब्द का
वह अपना आप होता है
जब तक बलात् तुम उसे
दूसरे से भिड़ाओ नहीं
कविता भिड़ाती नहीं
साथ-साथ करती है
शब्दों को
—उन को भी
विलोम कह देते हैं जिन को—
हो सकें सम्पन्नतर दोनों
परस्पर
हर कविता
—इस लिए बस—
प्रेम-कविता है ।
—
23 अप्रैल 2010