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न मुँह छुपा के जियो / साहिर लुधियानवी

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न मुँह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो
ग़मों का दौर भी आये तो मुस्कुरा के जियो
न मुँह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो

घटा में छुपके सितारे फ़ना नहीं होते
अँधेरी रात में दिये जला के चलो
न मुँह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो

ना जाने कौन-सा पल मौत की अमानत हो
हर एक पल की खुशी को गले लगा के जियो
न मुँह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो

ये ज़िंदगी किसी मंज़िल पे रुक नहीं सकती
हर इक मक़ाम पे क़दम बढ़ा के चलो
न मुँह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो