भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सबब मेरी उदासी का / मख़्मूर सईदी

Kavita Kosh से
Tripurari Kumar Sharma (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:06, 31 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मख़्मूर सईदी }} {{KKCatNazm}} <poem> किसी दिन पा...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किसी दिन पास मेरे आके बैठो
मेरे सीने पे रख कर हाथ – देखो
ये दिल की धड़कनें क्या कह रही हैं !
मेरी उलझन, मेरा आज़ार क्या है ?
किसी दिन दूर मुझसे जाके बैठो
मेरे बारे में थोड़ी देर सोचो
सबब मेरी उदासी का समझ लो
मुहब्बत की ये क्या मजबूरियाँ हैं
तुम्हारी दूरियों में क़ुर्बतें थीं
तुम्हारी क़ुर्बतों में दूरियाँ हैं