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सबब मेरी उदासी का / मख़्मूर सईदी
Kavita Kosh से
Tripurari Kumar Sharma (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:07, 31 दिसम्बर 2011 का अवतरण
किसी दिन पास मेरे आके बैठो
मेरे सीने पे रख कर हाथ – देखो
ये दिल की धड़कनें क्या कह रही हैं !
मेरी उलझन, मेरा आज़ार क्या है ?
किसी दिन दूर मुझसे जाके बैठो
मेरे बारे में थोड़ी देर सोचो
सबब मेरी उदासी का समझ लो
मुहब्बत की ये क्या मजबूरियाँ हैं
तुम्हारी दूरियों में क़ुर्बतें थीं
तुम्हारी क़ुर्बतों में दूरियाँ हैं