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लफ़्ज़ों की रोशनी / मख़्मूर सईदी
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तेरे अल्फ़ाज़ घोर अंधेरे में
जुगनूओं की तरह चमकते हैं
इस चमक में तलाश करता हूँ
अपने भटके हुए ख़्यालों को
अपने खोए हुए वजूद को मैं