भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राजनीति हिनहिनाई शहर में / बल्ली सिंह चीमा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:40, 8 जनवरी 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बल्ली सिंह चीमा |संग्रह=ज़मीन से उ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

राजनीति हिनहिनाई शहर में ।
भाषणों की बाढ़ आई शहर में ।

भाग कर बनने गई थी जो बहू,
वेश्या बन लौट आई शहर में ।

राजपथ पर लड़ रहे थे जानवर,
देख जनता छटपटाई शहर में ।

खा गई मेहनतकशों के जिस्म जो,
वोट लेने फिर से आई शहर में ।

बात जो मालूम थी हर एक को,
राज़ बन कर फिर से आई शहर में ।

देख सब गूँगे बड़े हैरान थे,
जब ग़ज़ल ’बल्ली’ ने गाई शहर में ।