भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इस्तेमाल / विजय गौड़

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:43, 14 जनवरी 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजय गौड़ |संग्रह=सबसे ठीक नदी का र...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
मैं समय के साथ चलते हुए
साइकिल के पहियों से
जुड़ जाना
चाहता हूँ
चलना चाहता हूँ
सट कर सड़क से

मुझे जबरदस्ती
पैडल तक न पहुँचाया जाए
और न ही
हैण्डल बनाकर
किसी भी तरफ घुमाया जाए ।