भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तिलक -गीत भितरा से बोलीं हैं / अवधी
Kavita Kosh से
विद्यावती पाण्डेय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:23, 16 जनवरी 2012 का अवतरण
भितरा से बोलीं हैं रानी कौशिल्या सुनो राजा दशरथ बचनी हमारी
सगरी अजोध्या में राम दुलरुआ तिलक आई बडि थोरी
सोभ्वा से बोले है राजा दशरथ सुनो जनक बचनी हमारी
सगरी अजोध्या में राम दुलरुआ तिलक आई बड़ी थोरी
हाथ जोरी राजा जनक जी बिनवैं सुनो दशरथ बचनि हमारी
तू तो हयो तीनो लोक ठाकुर हम होई जनक भिखारी