भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पेट के लिए बना तू भाड़े का सिपाही है / बल्ली सिंह चीमा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:49, 19 जनवरी 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बल्ली सिंह चीमा |संग्रह=तय करो किस ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पेट के लिए बना तू
भाड़े का सिपाही है
लाल झण्डे की लड़ाई
तेरी ही लड़ाई है ।

लाठी भी घुमाता है तू, गोली भी चलाता है तू ।
उल्टे हों या सीधे सारे, हुक़्म भी बजाता है तू ।
मर रहा है तेरे हाथों, तेरा ही तो भाई है ।
लाल झण्डे की लड़ाई तेरी ही लड़ाई है ।

खेत-खलिहान तेरे लाल बही खा गई ।
भूख ने सताया बात नौकरी पे आ गई ।
बेटा है किसान का तू और मेरा भाई है ।
लाल झण्डे की लड़ाई तेरी ही लड़ाई है ।

छोटी-सी पगार तेरी महँगाई खा गई ।
निभते-निभते बात रिश्वतों पर आ गई ।
मर गई संवेदनाएँ, बन गया कसाई है ।
लाल झण्डे की लड़ाई तेरी ही लड़ाई है ।

पेट के लिए बना तू
भाड़े का सिपाही है
लाल झण्डे की लड़ाई
तेरी ही लड़ाई है ।