भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रात की नींद / ”काज़िम” जरवली

Kavita Kosh से
Kazim Jarwali Foundation (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:04, 20 जनवरी 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=काज़िम जरवली |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem>इक ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


इक आन मे खामोश सी हो जाएगी,
हर एक सदा नींद मे सो जाएगी ।

इस दिल का कोई साथ कहाँ तक देगा,
कुछ देर मे ये रात भी सो जाएगी ।। -- काज़िम जरवली