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सीखा कहाँ से रोना / ठाकुरप्रसाद सिंह
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सीखा कहाँ से रोना
धर गाल हाथ पर तुम
आँसू बहा रहे हो
लगता हमें है ऎसा
तुम आदमी नहीं हो
भैंसों को आगे ठेलो
हल डोर उठो ले लो
फिर गूँजे स्वर तुम्हारा
हेलो लो हेलो हेलो
धरती तुम्हारी प्यारी
दे देगी तुम्हें सोना
सीखा कहाँ से रोना ?