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ख़्वाब : एक / सुधीर सक्सेना
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ख़्वाबों को
कोसता है कौन कमबख़्त ?
जब
संगीत में
सुरों का
कविता में
शब्दों का
और पेंटिंग्स में
रंगों का
पूरा होता है ख़्वाब !