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वसीयत / रश्मि प्रभा

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एक शब्द
किरणों की झालरों से मैंने लिया
गौर से देखा
सूरज मेरी मुट्ठी में है
एक शब्द
ओस की बूंदों से मैंने लिया
गौर से देखा
नम एहसास मेरी हथेलियों में है
एक शब्द
चिड़ियों के कलरव से मैंने लिया
गौर से सुना
साज मेरे अन्दर तरंगित है
एक शब्द
अमलतास से लिया मैंने
गौर से देखा
प्यार मेरे चारों तरफ
किसी बच्चे की तरह
गोल गोल घूम रहा है
एक शब्द
देवदार से लिया मैंने
गौर से देखा
मेरे हर निर्णय में दृढ़ता है
एक शब्द संध्या से लिया मैंने
गौर से देखा
लालिमा मेरा सौन्दर्य है
एक शब्द
रात से लिया मैंने
गौर से देखा
चांदनी मेरे कमरे में है
...........................
शब्द शब्द चुनकर
मैंने पिरोया और संजोया है ...
यह वसीयत सिर्फ उनके नाम
जिन्होंने इन शब्दों को सींचने में
धूप की परवाह नहीं की
बस इसका मान रखा
मुझे मायने दिए ..... !!!