Last modified on 28 फ़रवरी 2012, at 08:22

आँसुओं से आशना होता रहा / रविंदर कुमार सोनी

Ravinder Kumar Soni (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:22, 28 फ़रवरी 2012 का अवतरण (extra cat removed)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आँसुओं से आशना होता रहा
दाग़ ए हसरत दिल के मैं धोता रहा

कौन था राह ए वफ़ा में हमसफ़र
पा के मंज़िल का निशाँ खोता रहा

मैं ने क्या चाहा था, मैं अब क्या कहूँ
तुझ को जो मन्ज़ूर था, होता रहा

तुझ को पा लूँगा मगर अपना पता
जुस्तजू में मैं तिरी खोता रहा

और क्या करता, ये बार ए ज़िन्दगी
ना तवाँ काँधों पे मैं ढोता रहा

अहल ए दुनिया की दोरंगी देख कर
मैं कभी हँसता रहा, रोता रहा

ताबिश ए ख़ुर्शीद को देखा किया
रोशनी आँखों की गो खोता रहा

जागती दुनिया बहुत आगे गई
नींद क्यूँ गफ़लत की तू सोता रहा

दामन ए सहरा हो अश्कों ही से तर
तुख़म ए ग़म इस वास्ते बोता रहा