भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाइकु / भावना कुँअर
Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:43, 8 मार्च 2012 का अवतरण
1
चाहो अगर
छूना आसमान को
फैलाओ पंख
2
शाम के वक्त
लौटते हैं पंछी भी
आशियाने में
3
सिसक रहे
हरे भरे वृक्ष भी
अत्याचारों से
4
नहीं बनाते
पंछी भी आशियाना
सूखे वृक्षों पे