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रोटी पर एक कविता / धूमिल

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धूमिल की अंतिम कविता जिसे बिना नाम दिये ही वे संसार छोड़ कर चल बसे ।

शब्द किस तरह

कविता बनते हैं

इसे देखो

अक्षरों के बीच गिरे हुए

आदमी को पढ़ो

क्या तुमने सुना कि यह

लोहे की आवाज़ है या

मिट्टी में गिरे हुए खून

का रंग।



लोहे का स्वाद

लोहार से मत पूछो

घोडे से पूछो

जिसके मुंह में लगाम है।