भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शेर-11 / असर लखनवी
Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:13, 21 मार्च 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=असर लखनवी }} Category: शेर <poem> (1) दिल को बर...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(1)
दिल को बर्बाद किये जाती है,गम बदस्तूर1 किये जाती है,
मर चुकीं सारी उम्मीदे, आरजू है कि जिये जाती है।
(2)
देखो न आंखें भरकर किसी के तरफ कभी,
तुमको खबर नहीं जो तुम्हारी नजर में हैं।
(3)
न जाने किधर जा रही है यह दुनिया,
किसी का यहां कोई हमदम नहीं है।
(4)
न जाने बात क्या है, तुम्हें जिस दिन से देखा है,
मेरी नजरों में दुनिया भर हसीं मालूम होती है।
(5)
न देखने की तरह हमने जिन्दगी देखी,
चिराग बुझने लगा जब तो रौशनी देखी।
1.बदस्तूर - पहले की तरह, यथावत, यथापूर्व