भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
धीमें-धीमें वक्त बीतता जाएगा / विवेक तिवारी
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:24, 22 मार्च 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विवेक तिवारी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> धी...' के साथ नया पन्ना बनाया)
धीमें-धीमें वक्त बीतता जाएगा
और समय तय कर चुकेगा
जीवन की विशाल दूरियां
जीवन के उस मोड़ पर
पता नहीं
कहाँ होगी तुम
शायद चाहकर भी
कोई झलक
कोई आवाज़
कोई खबर न मिले
पर जानता हूँ
कभी भूल नहीं पाउंगा तुम्हें
और डायरी के पन्ने
अपनी हर धड़कन में
भावुकता का सफ़र करते
स्वर लहरियां बिखेरते
जानना तो चाहेंगे ही
तुम्हारे बारे में
और पूछेंगे तो है ही
क्या आज भी
इस वक्त के तकाजे में
इतने वर्षों बाद
तुम्हारी आँखों में
उतनी ही ख़ूबसूरती
उतनी ही रंगत है।