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ऐसा नहीं है / विवेक तिवारी
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ऐसा नहीं है
कभी भूलना नहीं चाहा
हर बार सोचा
हर एक याद मिटा दूँगा
पर हर बार
ये आत्मबल
तुम्हारी यादों के सामने
एक कोरा छल साबित होता
और तुम
किसी सम्मोंहन के
विस्तार,गहराई और ऊँचाई में
इकट्ठा होते सपनों
और उमड़ती संवेदनाओं के बीच
जीती-जागती,हंसती-मुस्कुराती
ज्यों की त्यों दिखायी देती ।