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नहर (1) / मदन गोपाल लढ़ा
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अथाह बहता पानी
एक ही दिशा में
निरंतर
किनारे की तलाश में
मेरे विचारों की श्रृंखला की तरह जो प्रवाहित
दसों दिशा
तलाश में
एक कविता की।