भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गुजरात (2) / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:20, 24 मार्च 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा |संग्रह=होना चाहता ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
लौट आया हूँ
अपने गाव
अपने घर
पाँच सालों के प्रवास के बाद
गुजरात से।
लेकिन
जरूर कुछ
छूट गया है पीछे
अथवा आ गया है साथ
जाने-अनजाने।
क्या है वह ?
जो तड़पाता है अक्सर
बहा ले जाता है
यादों के रेले में
बवंडर की तरह
मचा देता है उथल-पुथल
अंतस में
बैठ गया है जमकर।
कहीं वह
गुजरात तो नहीं?