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नन्ही चिड़िया (चोका) / सरस्वती माथुर

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नन्ही चिड़िया
 धूप -स्पर्श ढूँढती
 फुदकती -सी
 अंग -प्रत्यंग सँजो
 पंख समेट
 गहरी सर्द रात
 काँपती रही;
 प्रफुल्लित- सी हुई
 सूर्य ने छुआ
 जब स्नेह - आँच से,
 पंख झटक
 किरणों से खेलती
 नयी दिशा में
 उड़ गयी फुर्र से
 चहचहाते हुए !