भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पढ़ना / बेई दाओ
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:42, 27 मार्च 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=बेई दाओ |संग्रह= }} Category:चीनी भाषा ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
|
अनावश्यक आंसुओं का स्वाद चखो
एक हसीन दिन के लिए
अब भी चमक रहा है तुम्हारा सितारा
जन्म लेने पर
हाथ सबसे ज़्यादा अभिव्यक्ति करते हैं
अपनी जड़ों की तलाश में
एक शब्द बदल देता है
नृत्य को
गर्मियों के अक्षरों को पढ़ो
चांदनी को पढ़ो
जिससे एक आदमी चाय पीता है
वही सच्चा सुनहरा युग है
मलबों पर बैठे कौओं के शागिर्दों के लिए
सारे गौण अर्थ
उंगलियों के नाख़ून तोड़ देते हैं
उगता हुआ धुआं
वायदों के भीतर से रिसता है
अनावश्यक समुद्र का स्वाद चखो
नमक ने जिससे छल किया है
अंग्रेजी भाषा से रूपांतरण : गीत चतुर्वेदी