भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छोटा सा उसका कद / कुमार अनिल

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:03, 2 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार अनिल |संग्रह= }} {{KKAnthologyDeath}} {{KKCatKavita}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

छोटा सा उसका कद है
पर बाहर से बरगद है

रोज बहस सी होती है
मेरे अन्दर संसद है

मन में घुंघरू बजते हैं
जाने किसकी आमद है

कोई पार करे इसको
मन ये मेरा सरहद है

कोई परिंदा तो आए
कब से सूना गुम्बद है

रोज डराता है मुझको
मेरा मन ही शायद है