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नीलकंठ / आशीष जोग
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मैंने लिया है तुम्हारा आलंबन - तर्क,
छिपाने अपनी बेतुकी ज़िन्दगी का असंतुलन |
मैंने किया है तुम्हारा आलिंगन - भावनाओं,
दबाने अपने पाषण-ह्रदय का प्रकम्पन |
मैंने पिया है तुम्हारा कसैलापन - स्मृतियों,
न जाने क्यूँ, व्यर्थ ही - नीलकंठ बन |