भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दिलों में एक दरार है आज / आशीष जोग
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:32, 5 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आशीष जोग |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> दिलों म...' के साथ नया पन्ना बनाया)
दिलों में एक दरार है आज,
हर एक शख्स बीमार है आज |
तल्खियाँ घुल गयीं लफ़्ज़ों में,
कुछ कहना सुनना बेकार है आज |
कोई नहीं है जो कान्धा दे दे,
मौत भी देखो शर्मसार है आज |
कल तलक हाँ में हाँ मिलाते थे,
मेरी हर बात से इनकार है आज |
न जाने क्या हुआ है यारों,
मेरी हर एक से तकरार है आज |
कोई उम्मीद अब नहीं बाकी,
बेवजह दिल ये बेक़रार है आज |
ज़हर में डूबा हुआ तीर उनका,
हो गया दिल के आर पार है आज |
जिन उसूलों पे हम जिए अब तक,
उनकी ख़ातिर लो जां निसार है आज |
धुंधला धुंधला से एक वही लम्हा,
आता क्यूँ याद बार बार है आज |