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उजाले की किरण / रचना श्रीवास्तव

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उजाले की किरण’’’
उसकी माँ ने
बसता और टिफिन पकड़ाया
मेरी माँ ने
झाडू कटका
उसे स्कूल बस मे चढ़ाया
माँ ने मुझे
मालकिन का घर दिखलाया
जानती है वो
न गई तो पैसे कटेंगे
और हम भूखे रहेंगे
काश!
मै उजाले की
कोई किरण पकड़ पाती
तो मै भी
स्कूल बस मे चढ़ पाती