भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
श्री सी.मिश्रा के लिये / नासिर अहमद सिकंदर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:17, 11 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नासिर अहमद सिकंदर |संग्रह=भूलवश औ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
नहाने के बाद
एक नहीं
दो नहीं
तीन भी नहीं
चार-चार तौलिये से
पोंछते अपना शरीर पंडित जी
वे जिस तौलिये से सर पोंछते
उससे पैर नहीं
जिससे पैर
उससे तन का ऊपरी हिस्सा
और जिससे तन का ऊपरी हिस्सा
उससे बीच का नहीं
वाह पंडित जी !
वस्त्रों को भी आपने
वर्ण कर लिया !