लीलाधर जगूड़ी / परिचय
लीलाधर जगूड़ी साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी के प्रख्यात कवि लीलाधर जगूड़ी बीती एक जुलाई को सत्तर साल के हो चुके हैं। उन्होने अपना यह जन्म दिन देहरादून की उमस और शोर शराबे से बहुत दूर उत्तरकाशी में मनाया। सेना की नौकरी से लेकर रात के चौकीदार तक कई प्रकार की नौकरियां करने वाले जगूड़ी के निजी जीवन के संघर्ष हैरत में भी डालते हैं और एक मामूली घर में जन्मे एक किशोर की अजेय जिजीविषा की गवाही भी देते हैं।आखिर रात की चौकीदारी करने से लेकर साहित्य अकादमी पुरष्कार पाने तक का यह सफर यूं ही तो नहीं रहा होगा। टिहरी के बीहड़ पहाड़ में बसे धंगड़ गांव के उस अजेय किशोर को सत्तरवें साल पर सलाम !
जन्म
जन्म: 01 जुलाई 1944
स्थान
धंगण गाँव, टिहरी जिला, उत्तराखंड, भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँ
नाटक जारी है(1972); इस यात्रा में(1974); शंखमुखी शिखरों पर (1964); रात अभी मौजूद है(1976); बची हुई पृथ्वी (1977); घबराये हुए शब्द(1981) अनुभव के आकाश में चांद / लीलाधर जगूड़ी