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दृश्य / लीलाधर जगूड़ी
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एक आदमी अभी मेरा एक शब्द ले कर
मुझे टोह गया
उसके मुँह में वह शब्द अब भी गरम होगा
ऐसा उस समय हुआ
जब काँच की किरचवाली दीवार पर
एक बिल्ली मुँह में चूहा ले कर जा रही थी
झाड़ी में बिल्ली ने चूहे को छोड़ दिया;
गरम। कोमल फड़कता हुआ चूहा
चला,
चलने के बाद दौड़ने लगा
दौड़ते ही फिर दबोचा बिल्ली ने
पकड़ कर फिर दूसरी झाड़ी में ले गई
झाड़ी के ऊपर मँडराती रहीं केंकती हुई चिड़ियाँ
चूहे से छूट चुकी थी चूहे भर जमीन
बिल्ली के नीचे दबी हुई थी बिल्ली भर जमीन
लेकिन उसकी परछाई
और बड़ी होकर बाघ की तरह पसरी हुई थी
दुबारा वह आदमी मेरी ओर आ रहा है
और मुझे दूसरे शब्द की तरह देख रहा है