चिड़िया का प्रसव / लीलाधर जगूड़ी
माँ उस पुरानी घटना का नाम है
अपने पेट में अंडे ले कर
ण चिड़िया बाजार में गई
लाला के आगे से सुतली
घोड़े के आगे से घास
बूचड़ के आगे से बकरी के बाल
बच्चे के आगे से कागज ला कर
उसने घोंसला बनाया
जिसका विरोध नहीं किया जा सकता
प्रसव से पहले चिड़िया ने
घोंसला बना लिया था
चिड़िया का विरोध आजादी का विरोध है
उस दरवाजे से बाहर। उस आकाश में
जो आईने के अंदर फँसा हुआ है
नई चिड़िया
उस चिड़िया के साथ रहना चाहती है
आईने के भीतर से जो चोंच लड़ाती है
आईना धोखा है
या चिड़िया खुद को नहीं पहचानती
मगर जितनी जिस रंग की आ जाएँ
उतनी उस रंग की वो दिखा देता है
चिड़िया उस परत को कमजोर बनाना चाहती है
जिसके पार दूसरी चिड़िया फँसी है
तो भी उसका विरोध नहीं किया जा सकता
क्योंकि आईना भी एक दीवार है
चोंच चाहे बड़ी हो चाहे छोटी
भूख का जलजला एक है
चींटी जिसे ले गई
हाथी वो कण नहीं उठा सका
पानी जितना चिड़िया ने पिया
नदी कभी समुद्र तक नहीं पहुँचा सकी
एक चिड़िया की भूख
एक चींटी की भूख
एक हाथी की भूख;
भूख चाहे किसी की हो
- मार एक है
शांति में, खामोशी में, सन्नाटे में
तसल्ली के बाद जो पैदा होती है
माँ उस इच्छा का नाम है।