लौ हिन्दी भावानुवाद / नवीन जोशी 'नवेंदु'
लौ (हिन्दी भावानुवाद)
कौन कहता है-
मौत आऐगी
तो `मैं मर जाउंगा´
मैं तो एक परिन्दा हूं
दूसरी शाखा में उड़ जाउंगा।
कौन कहता है-तेज नदी आऐगी तो
`मैं बह जाउंगा´
मैं तो एक किनारा हूं
बस, दूसरे किनारे को देखता रहूंगा।
कौन कहता है-दौलत आऐगी तो
`मैं बदल जाउंगा´
मैं खुद ही अनमोल हूं
बस, स्वयं को बचा कर रखुंगा।
मैं काल हूं, विकराल हूं,
डरो मुझसे।
छोटा बच्चा हूं,
स्नेह करो मुंझसे।
मैं ब्रह्मा, बिष्णु, महेश
मैं समय सा बलवान हूं।
व्यक्ति को मनुष्य बनाने वाला
दुनियां के कण-कण में बसा
कहां नहीं हूं-कौन नहीं हूं,
यहां भी हूं, तहां भी।
जहां जरूरत पड़ेगी
वहां मिलुंगा,
स्थापित कर दो कहीं-नहीं हिलुंगा,
बौना हूं में, विराट भी।
अरे ! मुझे ढूंढने
कहां चल दिऐ ?
मैं तुम्हारे भीतर-
मैं अपने भीतर
मैं `लौ´।