क्या लिखूं (हिन्दी भावानुवाद)
क्या दे सकता हूं मैं
किसी को भी ?
वही,
जो-
मुझे मिला है
दुनिया से।
क्या सुना सकता हूं मैं
किसी को भी ?
वही, जो-
पढ़-सुन, समझ
रखा है यहीं से।
क्या लिख सकता हूं मैं
तुम्हारे लिऐ ?
वही,
जो-
तुमने, या किसी और ने
कहीं-कभी
कहा होगा
अथवा लिखा होगा
जरूर ही।
अन्यथा-
कहां से लाउंगा मैं
कुछ, तुझे देने को,
क्या सुनाउंगा तुम्हें नयां ?
क्या लिखुंगा तुम्हारे लिऐ
अलग ही
इस दुनिया से।
मैं परमेश्वर तो नहीं हूं नां।