भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रेल में / मंगलेश डबराल
Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:44, 18 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मंगलेश डबराल }} {{KKCatKavita}} <poem> '''रेल में''' ए...' के साथ नया पन्ना बनाया)
रेल में
एकाएक आसमान में
एक तारा दिखाई देता है
हम दोनों साथ-साथ
जा रहे हैं अंधेरे में
वह तारा और मैं